Teja Dashami 2018 तेजा दशमी क्यों और कैसे मनाएं
तेजा दशमी को लेकर लोगों में भारी उत्साह है। भाद्रपद कीशुक्ल पक्ष दशमी को भरने वाले तेजा मेले की तैयारियां जोरों पर है। लोक देवता के निर्वाण दिवस को लेकर यात्रियों के जत्थे उमड़ रहे हैं। नागौर जिले के परबतसर में तेजा दशमी से पूर्णिमा तक विशाल पशु मेले का आयोजन होता है।
तेजा दशमी की तैयारियां जोरों पर - Teja Dashami 2018
तेजा दशमी को लोग व्रत कर जहरीले कीड़े से सुरक्षा करने की मनोकामना करते हैं। इस तिथी को राजस्थान में कई जगह मेले के आयोजन होते हैं। हाथों में पताकाएं लिए पैदल यात्री तेजाजी के स्थानों पर दर्शनों को पहुंच रहे हैं। बाबा के जयकारों से प्रदेश की धरा गुंजायमान हैं। लोक देवता के रूप में प्रसिद्ध तेजाजी महाराज ने समाज को एक नई दिशा दी। दरअसल, प्रदेश में रामदेवजी, तेजाजी, पाबूजी, गोगाजी और जाम्भोजी को मरुधरा में लोकदेवता के रुप में पूजा जाता है। लोकदेवताओं के जन्मदिन या समाधि की तिथी को मेले के आयोजन होता है। इसके चलते भादवे की दशमी को जैसलमेर के रामदेवरा में बाबा रामदेव और नागौर के परबतसर में वीर तेजाजी का मेला लगता है। इस दौरान हजारों यात्री तेजाजी महाराज व रामदेव बाबा के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। बतादें कि लोक देवता तेजाजी का जन्म नागौर जिले के खड़नाल गाँव में ताहरजी और रामकुंवरी के घर माघ शुक्ला को जाट परिवार में हुआ था। किशनगढ़ के पास सुरसरा में सर्पदंश से उनकी मौत भाद्रपद शुक्ल दशमी को हो गई थी।
तेजा दशमी के पीछे क्या है मान्यता Teja Dashami 2018 Reasons, Accreditation
ऐसी मान्यता है कि तेजाजी का विवाह उनके माता-पिता ने बचपन में पेमल के साथ कर दिया था। अपनी भाभी के बोलों से अखरे तेजाजी ने ससुराल का पता-ठिकाना पूछकर पत्नी को लाने लीलन घोड़ी से रवाना हो गए। उनकी पत्नी की सहेली लाखा नाम की गूजरी की गायों को चोर जंगल से चुरा ले गए। तेजाजी इसी मार्ग से गुजर रहे थे। लाखा ने उन्हें रोककर गायों को चोरों से छुड़ाकर लाने के लिए कहा। तेजाजी ने लाखा की बात मानकर गायों को चोरों से मुक्त कराने निकल पड़े। रास्ते में सांप ने उन्हें डसने का प्रयास किया तो गायों को चोरों से मुक्त कराकर लाख को संभलाकर वापस सांप के पास आने की प्रार्थना कर डाली। इस पर सांप ने बात मान ली। इसके बाद गायों को छुड़ाने के लिए तेजाजी का चोरों से काफी संघर्ष हुआ। इससे तेजाजी के पूरे शरीर पर गहरे जख्म हो गए। वापस जब सांप के पास घायल तेजाजी महाराज लौटे तो सांप ने डसने से मना कर दिया। इस पर तेजाजी ने सांप को जीभ पर डसने के लिए कहा। सांप के डसने पर तेजाजी महाराज धरती मां की गोद में समा गए । इसके बाद से तेजा दशमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाने लगा। वीर तेजाजी को काला और बाला के रुप में भी लोग पूजते हैं। तेजाजी के स्थान पर सांप या जहरीले कीड़े के डसने से हुए घायल को ले जाने पर ठीक हो जाता है।
लोकदेवता के रूप में पूजनीय तेजाजी के निर्वाण दिवस भाद्रपद शुक्ल दशमी को हरवर्ष Teja Dashami के रूप में मनाया जाता है।
19 सितम्बर 2018 तेजा दशमी - 19 September 2018 Teja Dashami
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लोग व्रत रखते हैं। प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल 10 (तेजा दशमी) से पूर्णिमा तक तेजाजी के विशाल पशु मेले का आयोजन किया जाता है | इस वर्ष तेजा दशमी (19 सितम्बर 2018 ) को सभी जगह मनाई जाएगी |
नवमी की पूरी रात रातीजगा करने के बाद दूसरे दिन दशमी को जिन-जिन स्थानों पर वीर तेजाजी के मंदिर हैं, मेला लगता है।
हजारों की संख्या में श्रद्धालु नारियल चढ़ाने एवं बाबा की प्रसादी ग्रहण करने तेजाजी मंदिर में जाते हैं।
इन मंदिरों में वर्षभर से पीड़ित, सर्पदंश सहित अन्य जहरीले कीड़ों की ताँती (धागा) छोड़ा जाता है।
सर्पदंश से पीड़ित मनुष्य, पशु यह धागा सांप के काटने पर, बाबा के नाम से, पीड़ित स्थान पर बांध लेते हैं।
इससे पीड़ित पर सांप के जहर का असर नहीं होता है और वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाता है।
Teja Dashmi 2018 तेजा दशमी क्यों और कैसे मनाई जाती है और इसके कारण और मानयता क्या है
Reviewed by maxlinkinfo
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September 18, 2018
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